*INTERNATIONAL GIRL CHILD DAY 2021*
*अंतरराष्ट्रीय बालिका गर्ल दिवस:*
आज हम अंतरराष्ट्रीय समाज एशे दो भागो में बटे है एक ओर पुरुषी मानशीकता अहंकार वही दुसरी और बेटी नारी शक्ती अत्याचार, बर्बता, अपमान पुरुषवादी मानशीकता. इस वजह आज आधी आबादी आज कुछ मायनों में बोहत पीछे दिखाई देती हैं. क्या मानवीसमुदाय की उन्नती बिना महिला समाज की उन्नतीसे संभव हो शकता है? किसी देशची न्याय की परीभाषा नारी शक्तीको बिना मिले संभव हो शकता हैं??
महिलाओं के वजह से ही इस धरती पण हजारो शोध लगे करके सुरवात में महिला प्रधान संकृति रही और उन्हका सम्मान किया जाता रहा है। लेकिन युग, काल और सदियां बीतने के साथ महिलाओं के प्रति लोगों की सोच बदलती चली गई। बाल विवाह, दहेज प्रथा, कन्या भ्रूण हत्या जैसी समस्याएं अभी भी समाज में व्याप्त है। आए दिन यौन शोषण, दुष्कर्म, गैंगरेप और हत्या की खबरें सामने आती रहती हैं। दुनियाभर में बेटियों के प्रति समाज का दोहरापन दिखता है। लड़कियों को आज भी शिक्षा, पोषण, चिकित्सा, मानवाधिकार और कानूनी अधिकारों से वंचित रखा जाता है। लड़कियों को उनके तमाम अधिकार देने और बालिका सम्मान के प्रति दुनिया को जागरूक करने के उद्देश्य से ही हर साल 11 अक्तूबर को अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस मनाया जाता है।
“क्योंकि मैं एक लड़की हूं” ये नाम से एक अंतरराष्ट्रीय अभियान की भी शुरुआत की गयी. इस अभियान के अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विस्तार के लिये अनेक राष्ट्रने इसमे सामिल थे. आज स्वतंत्र नारी शक्ती के बिना दुनिया अधुरी हैं और रहेगी.
पहला अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस जब 11 अक्टूबर, 2012 को मनाया गया, तब इसकी थीम थी- “बाल विवाह उन्मूलन”. हालांकि अभी भी देश और दुनिया के विभिन्न हिस्सों में बाल विवाह के मामले सामने आते हैं। इसको लेकर कानून भी बनाए गए हैं, लेकिन इस कुरीति को खत्म करने के लिए अशिक्षा, पिछड़ेपन, गरीबी जैसे कारणों को भी दूर करना होगा.
अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस साल 2012 से ही मनाया जा रहा है। इसका उद्देश्य महिला सशक्तीकरण और दुनियाभर की बेटियों को उनके अधिकार प्रदान करने में मदद करना है, ताकि अपने सामने आने वाली चुनौतियों का लड़कियां सामना कर सकें और अपनी जरूरतों के साथ ही अपने सपने भी पूरे कर सकें. इसके अलावा दुनिया भर में लड़कियों के प्रति होने वाली लैंगिक असामानताओं को खत्म करने की दिशा में भी प्रयास करना है.