मराठी कविता: ग्रंथराज संविधान
श्री कृष्णकुमार गोविंदा निकोडे
मो. न: ७७७५०४१०८६
११ नोव्हेंबर, गडचिरोली
जगी दुजा ना महान |
शोध घेऊन पहा हो |
भारतीय संविधान |
पैजा याशी लावा हो |१|
हाचि खरा ग्रंथ राज |
जशी जगी सूर्यप्रभा |
गमे शिरी ग्रंथां ताज |
कवे घेई साऱ्या नभा |२|
न्याय स्वातंत्र्य समता |
द्रवे दया वाक्योंवाक्यी |
ऊर विशाल बघा हो |
दाटी औदार्य हृदयी |३|
प्रिय व्हावे नारी नर |
मानवता ठाई ठाई |
सुखे नांदवी जनता |
सण तोचि लोकशाही |४|
सर्व धर्म समभाव |
देश रमो पुष्पमाला |
मुभा भाष्य व्यवसायी |
सम दंड ज्याला त्याला|५|
सार कलमोंकलमी |
नटे वधू मानवता |
किती भाग्यवंत आम्ही |
सुखे वर्तती वर्तती |६|
दिन राती कष्टियले |
भीम बाबा शिल्पकार |
कैसे फेडिशी ‘कृगोनि’ |
पांग सांग सारासार ।७|